बहुत हुआ पेलेट गन और मिर्ची पाउडर का इस्तेमाल. अब तैयार हो गयी है नयी गुलेल फ़ोर्स, जिसको नाम दिया गया है 'गोफन फ़ोर्स'.
दर असल ईटमार पेड, खंभे या पहाड़ी की आड मे आकर पत्थर फ़ेक देते है जिससे उन पर पेलेट गन से निशाना लगाना काफ़ी मुश्किल भरा काम है लेकिन इससे निपटने के लिए सेना ने अब कमर कस तैयारी शुरु कर दी है.
दर असल ईटमार पेड, खंभे या पहाड़ी की आड मे आकर पत्थर फ़ेक देते है जिससे उन पर पेलेट गन से निशाना लगाना काफ़ी मुश्किल भरा काम है लेकिन इससे निपटने के लिए सेना ने अब कमर कस तैयारी शुरु कर दी है.
साल 2016 मे पत्थरबाजी के 40 हजार मामले सामने आये जिसमे से मुश्किल से 400 ईटबाज ही पकडे जा सके. क्युकि ये दूर से निशाना बना के पहाडो की ओट मे गायब हो जाते हैं. इनका मुख्य मकसद सुरक्षा बलों को नुकसान पहुचाना ही होता है. साल 2016 मे लगभग 100 जवानों को सिर्फ इन पत्थरबाजो अपने की वजह से हाथ और पैरों में फ्रैक्चर हुए हैं.
अब पहाड़ी के बीच जगह जगह पर गोफन फ़ोर्स के युवा सैनिक कश्मीरी ईटबाजो से लोहा लेने के लिए तैयार रहेगे और एक इशारे पर सीधे गुलेल मे पत्थर डाल के प्रहार कर देंगे. अब ये तो समय ही बतायेगा कि ये नया तरीका कितना कामयाब रहेगा. पर फ़िलहाल तो घाटी मे हालात सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे. जहा कश्मीरी ईटबाज पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारो के साथ जवानो को राह चलते पत्थर मार रहे हैं, वही मौका मिलने पर सेना के जवान भी पुरा बदला ले लेते हैं, गाडी के आगे ईटबाजो को बान्धकर सैर कराने वाली भारत की सेना को हम सबका सलाम और कश्मीर मे अमन और चैन के लिए दुआ.