कैशलेस इकोनॉमी की अहमियत को बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक जामना था, जब अंगूठा अनपढ़ होने की निशानी थी. आज अंगूठा ताकत का केंद्र बन चुका है.
प्रधानमंत्री भीमराव आंबेडकर के जन्मदिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. क्या आजाद भारत में इनकी पूछ होगी की नहीं. इन सारे सवालों का जवाब भीम राव अंबेदकर ने संविधान के माध्यम से दिया. आज अगर व्यक्ति कुछ करने की चाहत रखते है तो अवसर उपलब्ध है. वो ताकत देने का काम बाबा साहेब ने अपने जीवन से लोगों ..अपमानित होना, प्रताड़ित होना, तिस्कृत होना रोज का हिस्सा बन जाता है.
अगर इंसान छोटे मन का हो तो उसके मन में कटुता भर जाती है. लेकिन ये बुराईयों से सामना करना पड़ा. इतनी प्रताड़ना झेलनी पड़ी. भीमराव आंबेडकर ने कभी यह कटुता को बाहर नहीं आने दिया. उन्होंने इस तरह की कड़वाहट को बाहर नहीं आने दिया. उन्होंने शिवजी का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे शिवजी ने जहर पीकर अमृत लोगों को दिया. बाबा साहेब आंबेडकर ने जहर पीकर हमलोगों को अमृतवर्षा किया.आज अनेक योजनाओं का प्रारंभ हुआ. ऊर्जा ओक प्रकार से नागरिक का हक बन गया है. देश को अगर आद्युनिक भारत में ले जाना है तो ऊर्जा उसकी पहली जरूरत है. भारत ने पर्यावरण खतरों को देखते हुए 175 GW का सपना देखते है.
नागपुर वासियों में जो गंदा पानी है, उसका उपयोग बिजली बनाने के लिए होता है. मैं नितिन (गडकरी) जी को धन्यवाद देना चाहते हैं. हिन्दुस्तान का तिरंगा फहराने के लिए फांसी के तख्ते पर चढ़ जाते थे. मां भारती को गुलामी से मुक्त कराने के लिए जेल में जवानी खपा देते थे. अनगिनत बलिदानों को परिणाम था कि भारत आजाद है. आजादी के दीवानों ने कुछ सपना देखे थे. उनको तो सौभाग्य नहीं मिला कि आजाद हिन्दुस्तान में सांस ले. हम आजादी के लिए मरने का मौका नहीं मिला. हमें देश के लिए जीने का मौका मिला . आज 2017 में हम ख़ड़े हैं, 2022 आने में पांच साल है. आज हम संकल्प लेते हैं कि हम अपने देश के लिए ये कर सकता हूं.
इस, देश का कोई गरीब नहीं हो जिसके पास घर न हो. घर भी ऐसा हो जहां बिजली , पानी हो , नजदीक में स्कूल हो,वृद्ध लोगों के अस्पताल हो. गरीब को घर मिलेगा, मिस्त्री को रोजगार मिलेगा. 21 वी सदीं ज्ञान की सदी है. मानव इतिहास इस बात का गवाह है कि जब - जब ज्ञान युग हुआ है. भारत ने नेतृत्व किया है.आज पिछले कुछ दिनों से डिजीटल इंडिया की दिशा में काम कर रहे हैं. उसका एक फलक है डिजीधन. वो दिन दूर नहीं जब गरीब
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